अशिक्षा इस देश के लिए ,समाज के लिए कलंक है। बगैर समान शिक्षा और सभी को शिक्षा से जोड़े बगैर ये सम्भव नही है।
ये जिम्मेदारी सरकार को ही उठानी होगी। इसमे जो भी बाधाएं आती हो उन्हें कानूनी रूप से खत्म करने की भी जरूरत है। गरीब बच्चों के बीच कार्य करते हुए मैं देखता हूं कि कुछ मातापिता जान बूझकर बच्चो को स्कूल नही भेजते तथा बालश्रम और भिक्षावृत्ति की तरफ धकेलते है। ऐसे मातापिता को सजा का और सभी तरह की सरकारी सुविधाएं बन्द करने का प्रावधान होना चाहिए।
इसी प्रकार शिक्षक की भी जिम्मेदारी हो कि उसके क्षेत्र का कोई भी बच्चा स्कूली शिक्षा से बंचित न रहे। जो भी बाधा इसमे आये वह बिभाग को जानकारी दे और कानूनी रूप से वह हल होनी चाहिए।
अगर शिक्षक ऐसा न करे तो कर्तव्य में लापरवाही मान कर उसके खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए।
सारांश यह कि शिक्षा के बिना मानसिक विकास सम्भव नही..और बगैर मानसिक विकास के देश और समाज और स्वयं का विकास भी सम्भव नही।
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